शत प्रतिशत सौर ऊर्जा के उपयोग से ही हम देश में ऊर्जा स्वराज स्थापित कर सकते हैं- प्रो.चेतन सोलंकी
भोपाल 5 जनवरी 2023 मध्य प्रदेश भोज मुक्त विश्वविद्यालय भोपाल में आज जलवायु परिवर्तन और सुधार विषय पर एक व्याख्यान का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता आईआईटी मुंबई के प्रोफेसर और एनर्जी स्वराज फाउंडेशन के संस्थापक प्रो चेतन सिंह सोलंकी थे। प्रो सोलंकी ऊर्जा संरक्षण, सौर ऊर्जा जागरूकता के लिए देशभर में भ्रमण कर रहे हैं उन्होंने 11 वर्ष तक देश विदेश में भ्रमण कर सौर ऊर्जा जागरूकता के लिए अपना जीवन संकल्पित किया है।
प्रो चेतन सिंह सोलंकी ने उपस्थित कर्मचारियों और अधिकारियों के समक्ष अपने व्याख्यान में बताया के किस प्रकार हमारे जलवायु में परिवर्तन आ रहा है। उन्होंने बताया कि जलवायु परिवर्तन के कारण हमें कही अति वर्षा, कहीं अति गर्मी तो कहीं अति ठंड का सामना करना पड़ रहा है। हमारे उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव पर बर्फ पिघल रही है और समुद्र में पानी का स्तर साल दर साल बढ़ता जा रहा है, वही एक ओर आंधी और तूफान आने की संख्या भी बढ़ रही है और उसकी तीव्रता भी बढ़ती जा रही है। उन्होंने बताया की ऊर्जा इन सब के केंद्र में है आज हम जितनी ऊर्जा का उपयोग कर रहे हैं उसका 80 से 85% कोयला, तेल और गैस से आता है और इस प्रक्रिया में से कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जित होती है। इस वक्त वातावरण में 50% से अधिक कार्बन डाइऑक्साइड है। इससे धरती में गर्मी तेजी से बढ़ रही है और धरती का संतुलन बिगड़ रहा है। उन्होंने कहा कि केवल औद्योगिकरण और अंधाधुंध विकास ही इसके लिए जिम्मेदार नहीं है बल्कि प्रत्येक इंसान इसके लिए जिम्मेदार है और हम सब इंसान ही मिलकर हमारे जलवायु को खराब कर रहे हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि हमें धरती के तापमान को 2 डिग्री से ज्यादा बढ़ने नहीं देना है और इसके लिए हमें तुरंत और व्यापक उपाय करने होंगे। प्रो. सोलंकी ने बताया कि किस प्रकार हम सौर ऊर्जा का उपयोग कर जलवायु परिवर्तन को कुछ हद तक रोक लगा सकते हैं। उन्होंने इस संबंध में अपने 2 नियम प्रतिपादित किए हैं पहला अपने उपभोग को सीमित करें और दूसरा अपने निर्माण को स्थानीय कृत करें अर्थात यदि साधन सीमित है तो हमें उनका उपयोग भी सीमित ही करना चाहिए उन्होंने उपस्थित श्रोताओं को उदाहरण देकर बताया कि किस प्रकार प्रत्येक व्यक्ति अपने दिनचर्या में एक तिहाई ऊर्जा की जरूरतों को टाल सकता है एक तिहाई ऊर्जा की खपत को कम कर सकता है और लगभग एक तिहाई उर्जा को स्थानीय तौर पर बना सकता है। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए मध्य प्रदेश भोज मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो संजय तिवारी ने कहा की भारत में विश्व की 17% जनसंख्या रहती है और कुल कार्बन उत्सर्जन का 5% उत्सर्जन भारत में होता है लेकिन यह भी काफी ज्यादा है हमें इसे कम करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि पुराने काल में भारत में प्रकृति और मनुष्य के बीच सामंजस्य रहता था। उन्होंने आवाहन किया कि पूरे देश में सौर ऊर्जा साक्षरता की आवश्यकता है। जब हम सौर ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर होंगे तभी भारत विश्व में नंबर एक देश होगा।
भारत तो वैसे भी सदियों से प्रकृति पूजक देश रहा है। यह हमारा शरीर पंच तत्वों से बना है अगर यह पंचतत्व ठीक रहेंगे तो हम भी ठीक रहेंगे। हम पर्यावरण के ट्रस्टी हैं मालिक नहीं है। जो व्यक्ति ऊर्जा साक्षर होगा वही सही मायने में साक्षर कहलाएगा। ऊर्जा साक्षरता को आज जन आंदोलन बनाने की आवश्यकता है। आभार प्रदर्शित करते हुए मध्य प्रदेश भोज मुक्त विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ एस सोलंकी ने कहा कि आज का व्याख्यान हम सबके आंखें खोलने वाला रहा है आज हम सभी प्रण करते हैं कि हम अपने घरों और कार्यालयों में ऊर्जा का कम से कम उपयोग करेंगे और बिना किसी कारण के ऊर्जा का अनुचित प्रयोग नहीं करेंगे। कार्यक्रम में अतिथि परिचय कराया वरिष्ठ सलाहकार डॉक्टर साधना सिंह बिसेन ने। यह कार्यक्रम मध्य प्रदेश भोज मुक्त विश्वविद्यालय के आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन केंद्र द्वारा आयोजित किया गया।
डॉ एलएस सोलंकी
कुलसचिव मध्य प्रदेश भोज मुक्त विश्वविद्यालय भोपाल