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राष्ट्रीय विज्ञान दिवस पर भोज विश्वविद्यालय में संगोष्ठी संपन्न।

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस पर भोज विश्वविद्यालय में संगोष्ठी संपन्न।

26 Aug 2023


राष्ट्रीय विज्ञान दिवस पर भोज विश्वविद्यालय में संगोष्ठी संपन्न।

भोपाल 28 फरवरी 2022. राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के अवसर पर मध्य प्रदेश भोज मुक्त विश्वविद्यालय में एक संगोष्ठी काआयोजन किया गया। संगोष्ठी का विषय था वैश्विक नेतृत्व और रोजगार कौशल के लिए विज्ञान। संगोष्ठी के मुख्य वक्ता के रूप में भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉक्टर जे वी याख्मी में ने कहा कि हमारे विद्यार्थियों में प्रश्न करने और उस पर मनन करने का कौशल विकसित होना चाहिए क्योंकि एक अच्छा प्रश्न एक नए शोध को जन्म देता है और यह शोध आगे जाकर विभिन्न प्रकार के रोजगार उत्पन्न करते हैं। डॉक्टर याख्मी ने भारत के विभिन्न उदाहरण के साथ इस विषय पर प्रकाश डाला कि किस प्रकार पुरातन काल में भी भारत वैश्विक नेतृत्व कर रहा था। इस संदर्भ में उन्होंने नालंदा विश्वविद्यालय, जयपुर के जंतर मंतर ,तंजावुर का प्रसिद्ध मंदिर आदि के उदाहरण देकर यह स्थापित किया कि भारत पुरातन काल में विश्व गुरु था। उन्होंने वैश्विक नेतृत्व के संदर्भ में भारतीय मूल के विभिन्न वैज्ञानिकों और उनके द्वारा किए गए विभिन्न प्रकार के खोजो का विस्तृत विवरण देते हुए बताया कि आज विश्व में हर देश में भारतीय वैज्ञानिक और कार्यकारी प्रबंधक भारतीय मूल के ही हैं जिससे यह पता चलता है कि भारतीय मानस में वैश्विक नेतृत्व की क्षमता अभूतपूर्व है। इस संदर्भ में उन्होंने जुबिन मेहता, विवेक मूर्ति ,प्रोफेसर एस चंद्रशेखर, वेंकटरमन रामाकृष्णन आदि के उदाहरण प्रस्तुत किए उन्होंने कहा कि आज के जमाने में सिर्फ 1 डिग्री करने से काम नहीं चलेगा विद्यार्थियों को कम से कम दो या तीन विषयों में अपनी कुशलता हासिल करनी पड़ेगी तब जाकर वह समाज में अपनी अलग पहचान बना पाएंगे।

संगोष्ठी के मुख्य वक्ता विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन के कुलपति प्रोफेसर अखिलेश कुमार पांडे ने कहा कि उज्जैन स्थापत्य कला की दृष्टि से अति महत्वपूर्ण है उज्जैन शिक्षा की भी नगरी है यहीं पर सांदीपनी आश्रम में भगवान कृष्ण ने 16 कलाओं और 64विद्याओं को सीखा था। उन्होंने कहा कि पूरे विश्व में उज्जैन ही वह स्थान है जो सूर्य के ठीक नीचे स्थित है. यहां पर वेधशाला भी है। उन्होंने कहा कि प्राचीन काल में भारत विश्व गुरु था और यहां पर नालंदा और तक्षशिला जैसे विश्वविद्यालय हुआ करते थे लेकिन बाद में मुगलों और अंग्रेजों ने भारत की धन दौलत और बौद्धिक संपदा को लूटा। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति में उद्यमिता पर अधिक जोर दिया गया है। उन्होंने एक उदाहरण देकर बताया कि किस प्रकार आज सर्कुलर इकोनामी पर काम किया जा रहा है । एक भारतीय वैज्ञानिक ने बेंगलुरु में मशरूम उत्पादन का कार्य शुरू किया उसने मशरूम से ना केवल सब्जियां और सूप बनाए बल्कि मशरूम से ही शाकाहारी चमड़ा , मशरूम के जैकेट, मशरूम की पॉलिथीन, मशरूम से पैकिंग मैटेरियल, मशरूम से इंसुलेटर, मशरूम से पॉलीमर, यहां तक कि मशरूम से ईट भी बनाई है। यह तभी संभव है जब हमारे

पास बहू विषयक ज्ञान हो तभी ऐसी तरक्की संभव हो सकती है। उन्होंने कहा कि आज शोध के विषय हमें अपने आसपास ही ढूंढना चाहिए। हमें अपनी विरासत को जानना चाहिए और शिक्षा में भारतीय ज्ञान-विज्ञान को पढ़ाया जाना अति आवश्यक है। उन्होंने कहा कि हमारे पाठ्यक्रम में राजा भोज के वैज्ञानिक योगदान पर अध्ययन सामाग्री अवश्य शामिल किया जाना चाहिए।

संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए मध्य प्रदेश भोज मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर संजय तिवारी ने बताया कि 1986 से भारत में डॉक्टर सी वी रमन को याद करने के लिए राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाने का निर्णय भारत सरकार द्वारा किया गया। इस वर्ष राष्ट्रीय विज्ञान दिवस का शीर्षक है वैश्विक कल्याण के लिए वैश्विक विज्ञान। डॉ तिवारी ने बताया कि किस प्रकार रमन एंपलीफायर, रमन स्केनर, रमन स्पेक्ट्रोस्कॉपी आदि अविष्कारों का आज दुनिया मेंउपयोग किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि हमें स्वदेशी मॉडल अपनाना चाहिए। हमको अपनी प्रकृति अध्यात्म के अनुसार वैज्ञानिक विकास करना चाहिए। भारत ग्रीन एनर्जी के क्षेत्र में विश्व का नेतृत्व कर सकता है इसके लिए हम सबको मिलकर काम करना होगा। उन्होंने कहा कि वर्ष 2020 से 2030 के दशक में भारत विज्ञान के बल पर एक सामर्थ्यवान महान देश बनकर उभरेगा। डॉ तिवारी ने इस बात पर चिंता जाहिर की कि डॉक्टर सी वी रमन के बाद आज तक कोई भी भारतीय नागरिक विज्ञान में नोबेल पुरस्कार नहीं प्राप्त कर पाया है यह एक चिंता का विषय है।

संगोष्ठी का संचालन और विषय प्रवर्तन डॉ स्मिता राजन तथा अतिथि परिचय डॉक्टर साधना सिंह बिसेन वरिष्ठ सलाहकार द्वारा किया गया। कार्यक्रम का समन्वय किया प्रो किशोर जान निदेशक मध्य प्रदेश भोज मुक्त विश्वविद्यालय ने। विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉक्टर अनिल कुमार शर्मा द्वारा आभार प्रदर्शन किया गया।

 

डॉ अनिल कुमार शर्मा

कुलसचिव

मध्य प्रदेश भोज मुक्त विश्वविद्यालय